चंद सवाल खुद से
चंद सवाल खुद से


पूछ लें जरा चंद सवाल,
आज जरा खुद से,
क्या दिया इस वसुधा को,
अपने इस तन मन से,
आये थे यहाँ कुछ देने,
चंद लम्हों की यात्रा पर,
बनाना चाहते यहाँ बसेरा,
भूल निज कर्तव्य पथ,
देखो जरा वसुधा के अश्रु,
क्या हम सब भी जिम्मेवार नहीं,
चलो आज फिर ले संकल्प,
बनाने प्यारी वसुधा का,
ले हाथ में हाथ चले अब,
कर्तव्यों के राही सा,
युग सैनिक ही बन कर
अब तो नवनिर्माण करना है,
कर सद्गुणों की खेती अब,
हर दुर्ग
ुण ही हरना हैं,
प्रेम से हर दिल को जोड़,
एक परिवार बनाना है,
संस्कार से गढ़ हर पीढ़ी,
नव समाज बनाना है,
चलो आज हम सब मिल
वसुधैव कुटुम्बकम साकार करें
भूले भटको पर करुणा कर,
उनमें भी बदलाव करें,
देखो कही कोई रह न जाये,
नवनिर्माण की आंधी से,
हममें से ही हर कोई हैं,
लक्ष्मी बाई, ग़ांधी से,
चलो पहचाने खुद को,
नवनिर्माण करना है,
हर एक व्यक्तित्व हमें,
चुन चुन अब गढ़ना हैं।।
जयहिंद