चल वहीं आ फिर चले
चल वहीं आ फिर चले
चल वहीं आ फिर से चले
जिस रास्ते हम जा न सके
चलते रहेंगे एक दिन कभी
होकर मुकम्मल लौटें कभी
हो दिलगुजर सा ये सिलसिला
रूक कर रूके न ये कांरवा
हो रहबसर सा ये सिलसिला
रूक कर रूके न ये कांरवा
अपनी लहू की मसाल से
कर जगमग ये रास्ता
ये तय है एक दिन मिटेगा तम
लिखेगा तू एक दास्तां
रातो की बंदिशें तोड़कर
हाथों में कल का सूरज लिये
तू आसमां तक जाकर
एक नया इतिहास लिखेगा
चल वहीं आ फिर चले
जिस रास्ते हम जा न सके
चलते रहेंगे एक दिन कभी
होकर मुकम्मल लौटें कही
तेरा सफर बेसबर है
तेरी मंजिलें हैं आसान नहीं
अंजान नदी सी बह रही
है शहरों की डोलिया
तेरी शाम का जो चांद है
आज से जगमगायेगा टोलिया
तू हो चाहे न हो मेरा खुदा
मुझमें तेरा अहसास मिलेगा
हो सफर मे कोई भी गिला
रोके रूके न ये काफिला
हो बेसबर सा ये सिलसिला
रोके रूके न ये काफिला
तुम से मिले हम हम थे वहीं
तुम तक है आये फिर से वही
कैसी ये जिल्लत कैसी कमी।