चीते की चाल।
चीते की चाल।
आज हालात कुछ ऐसे बिगड़े ,
चारों तरफ़ हैं घाटे ही घाटे,
बहुतों की नौकरियां चली गई,
अनकों की जानें चली गई,
सब काम धंधे हो गये बंद,
सवाल हो गया पैदा,
कैसे चलेगा जीवन।
अर्थव्यवस्था जो कभी भागती होती थी सरपट,
हम कहलाते थे,
एशियन टाईगर।
आज हो गई बीमार,
महामारी ने उसे भी पहुंचा दिया श्मशान,
कहीं कोई लाभ नहीं,
समय कुछ ऐसा,
अगर बचना,
तो घर बैठ जाओ,
और अगर काम पे निकलो,
तो जान गवाओ।
तो आज अर्थव्यवस्था का चीता बीमार,
अगर उसको लाना पटरी पर,
तो कोरोना को भेजो यमलोक,
वरना सब कुछ रहेगा कमजोर।
