छू लेने दो
छू लेने दो
छू लेने दो नाज़ुक हाथों को ये
हाथ नहीं सु-ए-मैखाना है ये।
सजने दो इन मासूम ख्वाबों को अब
रवां है ये हमारी तवक्को को ये।
दुआ की है हमने ख़ुदा से
शब-ए-माह में कुबूल हो दुआएं ये।
इनायत है ये ख़ुदा की तुम्हें
माइल-ब-करम का सिला है ये।
मुंतज़िर हूँ "नीरव" मैं इन हाथों को
सोचता हूं मेरी लियाकत है ये।