STORYMIRROR

Abha Chauhan

Abstract

4  

Abha Chauhan

Abstract

छुट्टियां

छुट्टियां

1 min
186

हाय ! ये छुट्टियों से अब हो गए हैं बोर

घर में मचा हुआ है शोर

कोरोना के कहर से हुआ है बुरा हाल

मचा हुआ है बवाल!


हो गई सबकी छुट्टी है सबको बड़ा मजा आया

पर यह काम नहीं हमको बड़ा सताया

न कामवाली है न प्रेस वाला

अब कपड़ों के साथ खुद को भी धो डाला

पकौड़े तल - तल कढ़ाई हो गई काली

पसीने से बह गई चेहरे की लाली


काश ! ऑफिस और स्कूल खुल जाए

पति और बच्चे घर से बाहर जाएं

हम औरतें अपने ही घर में थोड़ा सा चैन पाएं

और घड़ी दो घड़ी शांति की बिताए।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract