चांदनी रात में
चांदनी रात में
चांदनी रात में, मैंने देखें बहुत रंग तेरे,
दिल की धड़कनों में, मैंने देखे बहुत आस तेरे !
तेरे इश्क में, मैंने कितनी आहुतियां दे दी,
तेरे नाजुक दौर में, अपने साँसो की नजदीकियाँ दे दी !
इन बेईमान बस्तियों में, अपनी अहमियत दिखा दी,
तेरे गलियों में, अपनी भाषा के रूप देखे !
चांदनी चौक में, अपनी नसीहतों की,
इज्जतों को समेटे हुए, अपनी उल्फत दे दी !
चांदनी रात में, मैंने तुझे अपनी बेशकीमती, दुनिया दे दी,
जो मेरे ना वो तुमको रहमीयत दे दी ! चांदनी रात में !