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Rupesh Kumar

Romance

4.0  

Rupesh Kumar

Romance

चांदनी रात में

चांदनी रात में

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चांदनी रात में ,

मैने देखे बहुत रंग तेरे ,

दिल की धड़कनों में ,

मैंने देखे बहुत आस तेरे !


तेरे इश्क में ,

मैंने कितनी आहुतियां दे दी ,

तेरे नाजुक दौर में ,

अपनी साँसो की नजदीकियां दे दी !


इन बेमान बस्तियों मे ,

अपनी अहमियत दिखा दी ,

तेरे गलियों में ,

अपनी भाषा के रूप देखे !


चांदनी चौक मे ,

अपनी नसीहतों की ,

इज्जतो को समेटे हुए ,

अपनी उल्फत दे दी !


चांदनी रात मे ,

मैने तुझे अपनी बेशकीमती ,

दुनिया दे दी ,

जो मेरे ना वो तुमको रहमियत दे दी !


चांदनी रात मे !



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