संभालो मेरे दोस्तों
संभालो मेरे दोस्तों


मैं अकेला हूं,
ना कोई मेरा है ना कोई अपना है,
ना कोई दोस्त है ना कोई बहन है,
मैं अकेला हू इस साहित्यिक संसार मे,
सिर्फ यहाँ झूठों का अंबार है सिर्फ,
कहते है अपना और भूल जाते हैं गैराना समझ कर,
सिर्फ दोस्ती, रिश्ता काम से काम का,
बहन हो या मित्रता का सिर्फ काम से काम का,
ना व्यवहार, ना अपनापन सिर्फ मतलब का,
आजकल के रिस्तों मे लोग सिर्फ फायदा देखते है,
फायदे के लिए मरते है, अपनापन, प्यार,
ये तो मर चुका है इस नास्तिक दुनिया मे, आपस्वार्थ दुनिया मे,
ना किसी के पास समय है ना किसी के पास दिल,
आज किसी से सच बोलो तो खुद बुरा बन जाओगे,
भले उनको बुरे लोग पसंद है लेकिन आप बुरा बन जाओगे,
ये जो दुनिया है, फैशन, दिखावट, झूठ के पीछे भागती है,
भले इनका लोग गलत तरीके से उपयोग कर ले,
समझती कहाँ है ये पागलपन दुनिया, क्योंकि,
यहाँ सच्चे को तिरस्कार किया जाता है&nb
sp;और,
झूठों को इज़्ज़त दिया जाता है,
इस कलियुगी, भ्रष्टाचारी, नर्क,
रिस्तों का नाजायज संबंध बनाने वाली,
दोस्ती के नाम पर धोखेबाजी,
सहायता के नाम पर गलत लुफ्त उठाने वाली,
प्यार के नाम पर धोखा देने वाली,
काम के नाम पर इज़्ज़त लूटने वाली,
साहित्य,शायरी के नाम पर गलत करने वाली,
राजनीति के पीछे बुरी नजर वाली,
यही है आज कल की दुनिया,
अगर ना संभालो तो कुएं मे गिर जाओगे,
या खुद को इस दुनिया मे अपना,
इज़्ज़त, नाम, ख्याति सड़कों पर लूटा दोनों,
सिर्फ अकेले अपने नाम के पीछे,
सरेआम बाजार मे बदनाम हो जाओगे,
सम्भल जाओ ये दुनिया वालों,
वर्ना इज़्ज़त सरेआम बाजार मे बिक जायेगी,
संभालो ये दुनिया वालो, इज़्ज़त ना ख़रीदी जाती,
शोहरत ना बेची जाती, संभालो मेरे प्यारे दोस्तों, बहनो,
ये एक सच्चे दोस्त की पुकार है,
सायल की दिल की आवाज़ है।