चांद में तुम्हारी तस्वीर देख रहे होते
चांद में तुम्हारी तस्वीर देख रहे होते
जितना समझा हूँ तुमको अब तलक
सोचता हूँ शायद काफ़ी न था
वरना तुम्हारी गर्म एहसासों की लहरें
मेरे जज्बातों के किनारों को छू कर गुजरती
अब तो मान लो कि
भूल हुई होगी तुमसे भी किसी को समझने में
वरना लम्बी दूरियाँ यूं ही न होती
दो दिलों के दरमियान
माना कि कुछ मजबूरियाँ रही होंगी
कुछ बेबसी भी रही होगी
वरना अपने तराशे हुए रास्ते यूं ही नहीं कट जाते
काश! कभी झांककर देखा होता
दिल की टूटी खिड़की खोलकर
तो जान पाती आज भी है किसीको इंतज़ार तुम्हारा
कभी कभी ख़्याल आता है कि
अगर लौट भी आऊँ पास तेरे
तो पहचानोगी कैसे
बंदिशों के ऊंचे मीनार जो खड़े है तन कर
हमारी सरहदों के दरमियान
बहुत देर हो चुकी है
जिद्द की दीवार को ढहाने में
इससे पहले की एक दूजे की बाहों में समा जाएँ हम
उम्मीदों की केसरिया शाम ढल चुकी होगी
हसरतों के बादल भी छट चुके होंगे
काली चादर में सिमटकर
अंधेरा भी घिर आया होगा
वरना इस पल हाथ तुम्हारा थाम कर
चांद में तुम्हारी तस्वीर देख रहे होते।

