चांद छूने की ख्वाहिश
चांद छूने की ख्वाहिश
चांद छूने की ख्वाहिश नहीं है मेरी,
है तारों को पाने की ख्वाहिश मेरी।
ख्वाबों में जबसे है वो आती मेरी,
ख्यालों में तबसे है वो समाती मेरी।
शाम ढलते ही नजर आती है मुझे,
यही सोचकर खुशी बढ़ जाती मेरी।
चांद पाने की वो चाहत नहीं है मेरी,
सितारों में रहने की हसरत है मेरी।
पूनम के चांद की नहीं है आरज़ू मेरी।
ख्वाबों में पूनम का चांद आती मेरी।
मन में उठी कैसी है गुदगुदी सी मेरी,
इस दिल की धड़कने बढ़ रही है मेरी।
देखो कैसे हिलोरें ले रहा है मन ये मेरा,
ना जाने क्यों ये आंख अब नम है मेरा।

