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Harsh Singh

Romance

3  

Harsh Singh

Romance

चाहता ही रहूँगा

चाहता ही रहूँगा

2 mins
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मैं तुम्हें यूँ चाहता हूँ राहों में बस चलता हूँ 

तुम्हें जो देखूँ तो मैं बस देखता रहता हूँ, 

कैसे बताऊँ की तुम मेरे क्या हो 

ज़िन्दगी नहीं ज़िन्दगानी बन गये मेरे हो ,

नशा तुम्हारा मुझ पर है इस क़दर ना होश में होता हूँ 

बढ़ते प्यार का उभरता सितारा तुम बन गये मेरे हो, 

पर जो भी हो अब तुम बन गये मेरे हो 

ज़िंदा रह पाया हूँ तो बस वजह वो तुम बन गये हो 

आशिक़ हूँ मैं तुम्हारे दिल का तुम आशिक़ी बन गये हो ,

दिल में मेरे बस तुम हो बस तुम ही और रहोगे 

क्या हो तुम जो मुझको अपनी ओर ही खींचते हो, 

नज़र तो आओ कभी डगर में मैं इन्तेजार करता हूँ 

बस एक झलक पाने की खातिर मैं बेचैन हुआ हूँ ,

रास्ते तो मिले कई मगर मंजिले ना मिली हैं 

आओगे किस जगह पर ये मुझे बतला दो ,

इन्जार करूँगा मैं वही तुम्हारा जहाँ से तुम गुजरे हो 

ना है कोई अपना मुझसा ना बेगाना कोई है ,

साँस लूँगा किसकी खातिर जो तुम ना मिलोगे 

जियूँगा मैं किसकी खातिर बस तुम ही एक मेरे हो, 

मैं तुम्हे ही चाहता और चाहता रहूँगा 

मिलेंगे हम तुम या क्या होगा ये कौन जानता है ,

बस इतना है मुझे तुमपे भरोसा बनोगे तुम मेरे हो 

साथ दिया मैंने हरदम तुम्हारा जब कहीं फंसे हो ,

अब दो मेरा साथ इस घड़ी इस पल मुझे तुम जरुरी हो 

मर के भी ना मर सकूँगा जो तुम ना मेरे हो 

चाहता हूँ मैं बस तुमको ही और तुम्हे ही चाहता रहूँगा ।



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