चाहत
चाहत
मैं प्रेम पड़ी वो
पागल औरत हूॅँ
जिसे धरती भी चाहिए
और आसमां का टुकड़ा भी
पर तुम्हरा प्यार
चाहिए मुझे ,
मेरी साड़ी के
पल्लू में पड़ी
मन्नत की एक गांठ जितना
एकदम छोटी गांठ जो
हजार मन्नतों
का हाथ थामकर,
मुरादों की एक
सुरीली कविता
बना देती है।