बुराई डरती है
बुराई डरती है
बुराई डरती है अच्छाई की मार से।
जीवन बिगड़ता और संवरता है केवल अच्छे बुरे विचार से।
लुटती मानवता है,
गलत देखकर भी यदि खून में तुम्हारे उबाल नहीं।
मृतात्मा हो तुम कोई जीवित इंसान नहीं।
कोई भी बुराई को देखकर
चुप क्यों रह जाते हो?
मृत्यु का आना निश्चित है तुम यह भूल क्यों जाते हो?
अनचाहे कायर बन कर
तुम क्यों पाप कर्म का हिस्सा बन जाते हो।
हे मानव मानव बन कर मानवता का ही विस्तार करो।
देवत्व प्राप्त करने धरती पर आए हो,
नहीं पशुता का व्यवहार करो।
कोई बुराई टिक ना पाएगी धरती पर कहीं,
यदि तुम्हारे आचरण में सत्य निष्ठा और निडरता रही।
