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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Tragedy

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Tragedy

बुरा बुढ़ापा

बुरा बुढ़ापा

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बुरा जीवन में आता है,

चलना कठिन होता है,

बुढ़ापा बैरी बन आता,

जन घुटकर ही रोता है।


साथ नहीं कोई मिलता,

अब फूल नहीं खिलता,

चारों ओर अंधियारा है,

कोई आनंद ना मिलता।


कभी बैठे थे चारों ओर,

अब ढूंढे नहीं मिलते हैं,

चहुं ओर नजर डाले तो,

दर्द के फूल खिलते हैं।


अपना कोई मिल जाय,

आनंद जीवन में आये,

चहुं ओर खुशियां छाये,

पर वो समय कहां पाये।


जरूर जग से जाना है,

दुनियां ने यहीं माना है,

वो प्रभु बुला रहा देखो,

बस उसे ही पाना है।।



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