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बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति

बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति

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हम सब बन जाते है कठपुतली 

कभी न कभी किसी की बातों से 

 

कभी दूसरों की खुशी के लिए 

तो कभी अपनी मन की मर्जी से 


इससे बन जाते है किसी के दोस्त

तो कभी मोल ले लेते है दुश्मनी किसी से 


किसी के हाथों की कठपुतली में 

नाचना होता है उसके इशारों पर 


हम कुछ भी नहीं कर सकते मर्जी से 

बस जैसे वो धागा खीचेंगे, करने लगेंगे 


जिससे उनको मिलती है अपार खुशी 

पर हम मायूस हो जाते है जिंदगी से 


मगर आखिर कब तक नाचते रहेंगे 

दूसरों के अनचाहे इशारे पर 


कभी उनके लिए कर बैठते है 

खुद का बहुत बड़ा नुकसान 


बार-बार चोट पहुंचाते है 

अपने आत्मसमान पर 


दूसरों का हित करने के चक्कर में 

खुद की खुशी और आजादी का कर देते है अर्पण 


हमें बनना पड़ेगा स्वावलंबी 

ताकि हम खुद मजबूत हो सके 


मजबूत बन कर खड़ा होना पड़ेगा 

अपने पैरों पर, नींव मजबूत करनी पड़ेगी 


ताकि कोई हमें कुछ न बोल सके 

खुद देखे, समझे, निश्चय ले अपना खुद का 


अपने फैसले पर खुद अमल करें 

और अगर गलत हो तो सुधार करें 


क्योंकि जब तक दूसरों के भरोसे रहेंगे 

तब तक हम अपनी चारदीवारी से बाहर नहीं निकाल पाएँगे 


गलती करने पर सीखने से हमें 

जिंदगी का फलसफा समझ आएगा 


हम वो हासिल करेंगे 

जो दूसरे नहीं सोच सकते 


हमें वो अनुभूति महसूस होगी 

जो बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति पर हुई थी 


इसलिए दूसरों के हाथों की कठपुतली बनने से अच्छा

अपनी गलतियों से सबक लेकर जीवन में आगे बढ़ना सीखो... 


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