शीर्षक:इजहार
शीर्षक:इजहार
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भिगोकर खून में मैंने
लेखनी से प्यार लिखा है !
तेरे इश्क में खोकर खुद को
खुला इज़हार लिखा है!!
भले अंज़ाम कुछ भी हो
नही परवाह अब मुझको !
ऐ मेरी जान ए जाना मैंने तो
सदा ही ऐतबार लिखा है !!
आकर देख ले एक बार
कलम से प्यार लिखा हैं!
बड़ा निडर होकर के
मंजु ने इश्क का इजहार लिखा हैं !