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Vandana Srivastava

Inspirational

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Vandana Srivastava

Inspirational

धवल उज्जवल

धवल उज्जवल

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प्रथम दिवस र्निमल उज्जवल,

धवल श्वेत पावन झलमल,

अंत:मन से तू कर चिंतन,

शॉंतिदूत बन कर विचरण,


शिक्षा जो मिली नवरात्रि से,

चरित्र बने शॉंत जैसे हो जल,

मॉं शैलपुत्री देती यह संदेश,

भीतर की शक्ति में करो प्रवेश,


नौ दिन का पावन यह त्यौहार,

सिखाता भक्ति की महिमा अपार,

समय चक्र ना ठहरे क्षण भर,

जीवन बीत रहा पल पल कर,


स्वयं से स्वयं के मिलन का अवसर है,

भीतर की खोज से भविष्य प्रखर है,

शुद्ध तन मन करने की बेला आई,

मॉं से विनती ना करूं किसी की बुराई,


मॉं क्षमा करियो मेरे सारे अपराध,

अवगुन तज कर सत्य को लूं मैं साध,

नव पावन नव संचार का अरूणोदय,

नवचेतना का हो हृदय भीतर अभ्युदय !


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