आखिर क्यों उससे डरता है, बिन चिंता क्यों न मरता है आखिर क्यों उससे डरता है, बिन चिंता क्यों न मरता है
आखिरी सांस तक दौड़ूंगी बिना किसी के सहारे। आखिरी सांस तक दौड़ूंगी बिना किसी के सहारे।
समाज की विकलांगता होगी ज़रूर पर निश्चय तो मेरा भी है उतना ही दृंड। समाज की विकलांगता होगी ज़रूर पर निश्चय तो मेरा भी है उतना ही दृंड।
विस्मय की घड़ी हो,या खुशी का मंजर निश्छल बन, बिना किसी स्वार्थ के आगे बढ़ना । विस्मय की घड़ी हो,या खुशी का मंजर निश्छल बन, बिना किसी स्वार्थ के आगे बढ़ना ।
खण्डित जब देश हुआ हिन्दुस्तान दो पाट हुआ एक देश दो भाग हुआ भारत देश आज़ाद हुआ। खण्डित जब देश हुआ हिन्दुस्तान दो पाट हुआ एक देश दो भाग हुआ भारत देश आज़...
हर लम्हा बीत जाता है तभी तो जरा सी देर में मंज़र बदल जाता है। हर लम्हा बीत जाता है तभी तो जरा सी देर में मंज़र बदल जाता है।