बता के रोई...
बता के रोई...
वो मेहँदी लगे हाथ दिखा के रोई
मैं किसी और की हूं वो ये बता के रोई
मैं बोला कौन है वो खुशनसीब
वो मेहँदी से लिखा हुआ नाम दिखा के रोई
कहीं गम से फट ना जाए जिगर मेरा
वो हंसते हंसते मुझे हँसा के रोई
दिल ना टूटे उसका गम ए इजहार में
मैं भी रोया वो भी आंख से आंख मिला के रोई
उसने जाना जब मेरे रोने का सबब
अपने आंसू मेरी हथेली पे सजा के रोई
जब भी देखा उसे हंसते हुए देखा
वक्त ए हिना हर खुशी को वो भुला के रोई
दिल ने चाहा उसे जी भर के देख लूं
वो मेरी नज़रों की प्यास बुझा के रोई
कभी कहती थी की मैं नहीं जी पाऊंगी तुम्हारे बिन
आज फिर वो ये बात बार बार दोहरा के रोई।।