बस्ती मेरी
बस्ती मेरी
अपनी बस्ती पूरी
भर्ती जाती है उनसे
जिन्होने है कुुुुचला
अपना अंंर्तमन
गिरवी है रखा
अपना ईमान,
होता जा रहा
आदमी एक दूसरे
को झिंझोङता
ईक वहशी,ईक शैताान।।
है तबियत
मेरी घबराई
अपनी बस्ती का
यह रूप देेेख भाई,
अरे रूको,थोङा झुको
क्योंकि अगर रहोगे
यूँ ही अड़े
तो फूटेेंगें वे घड़े
जो प्रकृत्ति
ने हैं गढे,
तो टूटेेंगे वह नियम
है दम पर जिनके
हम सबका जीवन,
होगी और विकृत
अपनी सुुुुुुंदर सृष्टि,
चेतो अकाबाया की है
इस पर कुदृष्टि।।
