बसंत आ रहा है,
बसंत आ रहा है,
ओ! मां,
पत्ते जो पहले झड़ रहे थे
अब क्यों उग रहे है?
सर्दी जो पहले बढ़ रही थी
अब क्यों घट रही है?
वे सूखे-सूखे बबूल
जो नर कंकाल-से लगते थे,
आज किसका स्वागत कर रहे है?
बेटा! वह आ रहा है
कौन?
पीले परिधान पहनकर प्यारा बसंत आ रहा है।
उसकी स्वर्णमय पीली आभा से,
धन-धान्य पूरित हो रहा
उसकी विलक्षण पीली काया से
वसुंधरा शोभित हो रही ,
उसकी छोटी सी श्रेष्ठ माया से
हर कोई लोभित हो रहा , हर कोई मोहित हो रहा।