वह चिड़िया
वह चिड़िया
देखते ही देखते, मैं देखता रह गया;
न जाने वो कहां, गायब हो गया।
वृक्षों पे देखा, आसमां में देखा;
लेकिन मैं तो असफल - रह गया।
तभी कहीं से आवाज आई;
कि वो तो अपनी अनंत यात्रा के लिए सवार हो गया।
ऐसा सुनकर मैं रोया...;
...और रोता ही रह गया।
पुण्य के अभाव से, वायु के अभाव में
पाप के दबाव से, मनुष्यता के अभाव में;
वो तो चला गया, इस पापी संसार से
पर उसके मरने का दोषी आपको बता गया।
उसकी देह का वो भूरापन
अब भी नजर आता है,
उसके देना चुनने का तरीका
नुस्खा - सा नजर आता है।