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Sunil Kumar Purohit

Abstract

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Sunil Kumar Purohit

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बस पहचानता नहीं

बस पहचानता नहीं

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जब से छपने लगी है किताबें

बड़ा नाम कमाया है उसने

पुकारा करते थे जिस नाम से उसे

वो नाम भी बदल लिया है उसने

कहते हैं,कहने वाले

तेरा यार बदल गया है

मैं कहता,ऐसा कुछ खास नहीं

जानता तो आज भी है

बस पहचानता नहीं!



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