जिद्द ना करो
जिद्द ना करो
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जिस्म की भूख कब मिटी है जो अब मिट जाएगी
दिल में बसे रहो, घर बसाने की जिद्द ना करो
संस्कृति का उपासक हूँ मैं, पथ ना भटकाओ
दोस्त बने रहो, गोश्त चखने की जिद्द ना करो
कब इन्कार किया है कि चाहत नहीं है तेरी
पुजारी ही रहने दो, हवस की जिद्द ना करो
खुश हूँ पर खुशी में बस इज़ाफा कर रहा हूँ
एक को मिटा दूसरी लाने की जिद्द ना करो