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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Drama Tragedy Inspirational

बढ़ती जनसंख्या प्रतिबंध

बढ़ती जनसंख्या प्रतिबंध

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बढ़ती हुई जनसंख्या से कम हो रहे प्राकृतिक संसाधन

इससे कम हो रहे, रोटी, कपड़ा, मकान

मूलभूत संसाधन जनसंख्या वृद्धि से छोटे होते जा रहे,

धरती और गगन हमारी बर्बादी को

खुलेआम खुद ही न्यौता दे रहे है,

हम बढ़ते हुए कृत्रिम संसाधन,

बढ़ता हुआ पर्यावरण प्रदूषण एक दिन मिटा ही देगा,

पूरी तरह से मानव रूपी सुमन

फिर भी हम बो रहे बबूल रूपी जहरीले जनसंख्या वन

पूरी मानव बिरादरी को खत्म कर देगा यह जनसंख्या बम

बढ़ती जनसंख्या पर सब लोग करो खुले दिल से मनन

क्या बढ़ती जनसंख्या से दे पाएंगे भावी पीढ़ी को कोई सदन?

छोटा परिवार, सुखी परिवार, जो यह बात याद रखते है,

जन वो इस दुनिया में सदा ही महकते है,

बनकर एक चन्दन छोटे परिवार में बच्चों को समुचित शिक्षा का मिलता है धन

साथ ही सही परवरिश का मिलता है उचित अवसर

जन जो जनसंख्या वृद्धि रोकथाम हेतु अपनाते परिवार नियोजन

उनको साखी करता है इस दुनिया में नित रोज ही वन्दन

लोगों की बुद्धि लब्धि, समझदारी से महक रहा यह चमन

जनसँख्या वृद्धि पर लगाओ प्रतिबंधन, बन जाओ सज्जन



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