बोनसाई
बोनसाई


एक बोनसाई पौधा था,
जापानी तकनीक का,
किसी ने बडे प्यार से सौगात दी थी,
हमेशा मेरे बेेडरूम, होल की शोभा बढाता था,
अचानक किसी की नजर लग गई,
मैंने मिट्टी बदली,खाद डाली,
पानी भी समय पर डाला,
पर, पता नहीं क्यों मुरझाता गया,
रोज प्यार से हाथ लगाकर ,
उसके पास.जाकर कहती थी मै-मरना मत।
शायद वो मेरी बात सुनता भी था,
मरा नहीं महीनों तक,
पर हर रोज उसमें जिजीविषा कम होती दिखाई देती थी।
एक दिन मैंने मन कडक कर कह दिया,
तू मर जा,
और वो मर गया,
और वो मर गया।