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प्रीति शर्मा

Tragedy

4.8  

प्रीति शर्मा

Tragedy

बंदिशें मेरे लिए हैं?

बंदिशें मेरे लिए हैं?

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बंदिशें बस मेरे लिये हैं? 

क्या मैं ही हूँ उद्दण्ड-प्रचण्ड? 

सभी अनाचार-अत्याचार की दोषी?

क्या मैं ही हूँ सभी रामायण - महाभारत की दोषी?

बड़ी जल्दी लगा देते हैं मुझ पर आरोप?

कभी वेशभूषा या व्यवहार तो कभी बोलचाल 

या नासमझी का जाल

सब मुझ पर ही क्यों कसता है?

क्या मैं ही सभी दुर्गुणों से युक्त ?

क्या पुरूष सभी दुर्गुणों से मुक्त?

भूल क्यों जाते हैं कि मैं स्वेच्छा से आई थी वन

पति का साथ निभाने को

वरना तो ससुराल और मायका था साधन संपन्न,

ऐश्वर्य भोगती राजक

ुमारी सा।

क्या बाली सही था या रावण?

अहंकार ने किसको भरमाया था?

महाभारत के प्रणेता क्या भीष्म नहीं थे?

लाये जबरन राजकुमारी जीत।

या फिर धृतराष्ट्र जो पालते रहे लालसा

अन्धी आंखों में राज करने की

पुत्र मोह में युवराज बनाने की?

और दोषी बना दी मेरी हंसीं?

क्या निर्वस्त्र करना सभा में

मेरे व्यंग्य का परिणाम था

या अहंकार का बेशर्म आचरण?

क्या है जबाव किसी के पास? 

मैं ही बन्दी,मैं ही शिकार

मुझ पर ही बन्दिश? वाह रे समाज

कमाल... कमाल... कमाल...???


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