बिखरे मोती
बिखरे मोती
बिखरे मोती, टूट गई डोर
गांठ लगाओ या न लगाओ
अपनत्व तो हो चुका ध्वस्त
कैसी लगी संतुष्टि को आग,
न बुझती है, न दहकती है
बस जल रहा है गांव-मोहल्ला
बचपन के दोस्त, मां का प्यार
छोड दिया बस एक नाम के लिए
लौटना भी कैसे, सूख गई माटी
बंजर मिट्टी में नहीं पनपते रिश्ते