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Harish Bhatt

Classics

3  

Harish Bhatt

Classics

बिखरे मोती

बिखरे मोती

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बिखरे मोती, टूट गई डोर

गांठ लगाओ या न लगाओ

अपनत्व तो हो चुका ध्वस्त


कैसी लगी संतुष्टि को आग,

न बुझती है, न दहकती है

बस जल रहा है गांव-मोहल्ला


बचपन के दोस्त, मां का प्यार

छोड दिया बस एक नाम के लिए

लौटना भी कैसे, सूख गई माटी

बंजर मिट्टी में नहीं पनपते रिश्ते


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