बीमार होता जा रहा हूँ..!
बीमार होता जा रहा हूँ..!
माना कि मेरी ही ग़लती थी
पर निगाहें तो उसने ही
मिलाई थी
समझ नहीं पाया ना जाने
क्यूँ मैं,
उसके मनसूबे को
बस इस लिए दर्द-ऐ-दिल का
शिकार होता जा रहा हूँ
पहले बहुत अच्छे थे,
अब बेकार होता जा रहा हूँ
क्या इश्क़ का रोग सच में
लाईलाज होता है
मेडिसिन खा-खा के भी
बीमार होता जा रहा हूँ
अब टूट के भी चाहना
किसी को
दिल को गवारा नहीं
सच में मजनूँ हूँ मैं, कोई
आवारा नहीं
इस दर्दे-ऐ-दिल कि फरियाद,
अरसे बाद जाके आज
मुझे समझ आई थी
माना कि मेरी ही ग़लती थी
पर निगाहें तो उसने ही
मिलाई थी !