बिचौला
बिचौला
काश ! मैं सबसे बड़ा होता
या फिर सबसे छोटा होता
बिचौला मुझे क्यों बनाया ?
बड़ा सदा ही मजे करता
और नये -नये कपड़े लेता।
छोटे को सब करते प्यार
जो माँगे सब मिलता तैयार।
मैं बेचारा बिचौला भाई
बड़े की उतरन हाथ आई।
वार त्योहार तो कोई मुझे ले दे
बाकी साल भर बड़े की दें।
छोटे को हर नई चीज मिलती
गल्ती पर डाँट भी न पड़ती।
प्रभु जी मुझको माफ करना
यह न समझना मेरा बहाना।
दादा-दादी बड़े को ही चाहें
छोटे को भी लाड लड़ावें।
मैं बेचारा तकदीर का मारा
ढूँढूँ अपने लिए एक सहारा।
एक बेचारी माँ ही सुनती
वह सब की इच्छा पूरी करती।
उसकी इच्छा कोई न जाने
हाँ बस मेरा दुख वो पहचाने।
मेरी बात इसलिए कट जाती
बड़े की चीजें मेरे काम चलाती।
जब तीनों हैं एक समान
फिर क्यों यह भाव असमान।
अब तो प्रभु जी आपसे भी कट्टी
क्यों मुझे दी बीच की बट्टी।
क्यों नहीं मुझे बड़ा बनाया
क्यों ये जीवन भर तरसाया ?
