भूला दिया उस तस्वीर को(सोनेट)
भूला दिया उस तस्वीर को(सोनेट)
भूला दिया उस तस्वीर को, जो तकदीर में नहीं थी....!
बसाया है अब उसे यादों में, ख्वाबों में, ख्यालों में....!!
महफिल जमी हुई थी हमारे चारों ओर मगर नूर की कमी थी....!
मैं तो भूल बैठा था तू तो है मेरी शायरी में, जज्बातों में, ग़ज़लों में....!!
बड़ी अजीब सी बरसात हमारे शहर में हो रही थी....!
आसमां उदास था, आँसू थे जमीन की आँखों में....!
सिर हिलाकर कर लिया जाता था कुबूल, चेहरे से पर्दा हटाने की इजाजत कहाँ थी....!
आज भी रित कायम है जमाने में, औरत को औरत द्वारा जलाने में....!!
इक आरजू दिल की दिल से, तुम्हें दिल में बसाने की थी....!
अगर तुम्हारी भी होती पाक मोहब्बत हमें चाहने में....!!
दर्दों से भरा पड़ा था सारा आलम, बुराइयों की फैली जाल थी....!
कैसे आती भला कोई अच्छी खबर सुबह के अखबार में....!!
होकर बेपरवाह, नशीली नज़रों से, वो चाँद को निहार रही थी....!
हाल- ए- दिल अब उस चाँद का मत पूछो, अपनी जगह से हिलना भूल गया वो तो उसकी मदहोशी में....!!