भूल
भूल
भूल से जो भूल हुई, उसकी क्या माफ़ी होगी?
तुम्हें देख सकू रोज, इसकी क्या कीमत होगी?
ध्यान मैंने भी रखा तुम्हारा, इसको बताने की भी क्या जरुरत होगी?
विवाह के बंधन को, बेड़ियां समझने की नादानी क्या फिर होगी?
हर बात लफ्जों में, कहने की भी क्या ज़रूरत होगी?
मेरी नज़रों से नज़रे मिलाने की क्या हिम्मत होगी?
तुम अपनों की कदर कर सको, इसके लिए क्या आदरता होगी?
तुम अपने वैवाहिक जीवन के सफर से क्या दोबारा जुड़ना चाहोगी?
उस गलती की मैं तुम्हें क्या ही सजा दे पाऊंगा
तुम्हारी उस भूल को मैं, सदा के लिए भूल जाऊंगा
मिले जो हम तकदीर से हैं, तो मैं तस्वीर क्यों बदलना चाहूंगा?
भूलों को भूला कर, मैं अपना भविष्य बनाना चाहूंगा।