भूल के बस आगे बढ़ जा
भूल के बस आगे बढ़ जा
अब ना आएंगे वो दिन,
भूल के बस आगे बढ़ जा
बहुत सताएंगे वो दिन,
भूल के बस आगे बढ़ जा
बार बार आवाज़ लगाता
सन्नाटे में तू चिल्लाता
वर्तमान को क्यूं झुठलाता
हाथ न आएंगे वो दिन
भूल के बस आगे बढ़ जा
स्मृतियों को ओढ़ कफ़न सा
दाह प्रतीक्षित शव सा प्रस्तुत
आशाओं की चिता सजाता
बीत गए को क्यूं दुहराता
काम न आएंगे वो दिन
भूल के बस आगे बढ़ जा
भूल गए वो दिन भी तुझको
जिनको तू रमता रहता है
भूल गए वो पथ भी तुझको
जिनको तू तकता रहता है
अनायास की आस अनर्गल
तुझे बताएंगे वो दिन
भूल के बस आगे बढ़ जा
भोर सो गई सोते तन में
गई दोपहर दिवा स्वप्न में
सांझ सुखा दी मृत स्वप्नों में
रात तमस तम अधिकृत मन में
काली आंखों में कालापन
सूने मन में सूनापन
यही दिखाएंगे वो दिन
भूल के बस आगे बढ़ जा
