भोर सो गई सोते तन में भोर सो गई सोते तन में
जीवन सारा बीत गया फूटी गागर भरते-भरते श्याम हो गई उजली चादर कालापन हरते-हरते। जीवन सारा बीत गया फूटी गागर भरते-भरते श्याम हो गई उजली चादर कालापन हरते-हरते।
रूप के सौदागर समझते खुदको! काले रंग से घबराए हैं!! रूप के सौदागर समझते खुदको! काले रंग से घबराए हैं!!