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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy Others

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy Others

बहुत दर्द होता है

बहुत दर्द होता है

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कई मुलाकातों के बाद,

इत्तफाक से इश्क हुआ,

जिंदगी में बहार आई,

दिल ए बागबां हुआ,

प्रेम के बादल छा गये,

जमीं का दामन भीग गया,

होंठों पर कंपन सी मुस्कान,

दिल में सैलाब आ गये।

कितना मासूम है यह इश्क,

मासूम लोगों को दगा देता है,

बहुत दर्द होता है इश्क़ में,

जब मासूमियत देती है दगा।



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