बहका हुआ हूँ
बहका हुआ हूँ
तेरे होठों की शरारत से मैं बहका हुआ हूँ
के अब तो चख लेने दो कबसे तरसा हुआ हूँ,
क्यूँ तुम इन्हें रखती हो मुझ से छुपा कर,
के मैं तो खुद इनकी हिफाज़त मै लगा हुआ हूँ,
उस पल भर की मुलाकात से मालूम हुआ,
के क्यूँ मैं तेरा दीवाना बना हुआ हूँ,
तेरी आँखों से तेरे लबों तक का
ये फासला ते मुझ से ना हो सका,
के लबों से तेरे दिल भरता नहीं और
आँखों में तेरी अब भी डूबा हुआ हूँ,
जाने तेरी ये ज़िद है या तुझे पसंद कोई और है,
पर मैं तो तेरे हाथों का खिलौना बना हुआ हूँ।

