तुम नहीं समझोगी
तुम नहीं समझोगी
जो बेचैनी सी है मेरे दिल में वो तुम नहीं समझोगी,
तुम बिन कैसे जी रहा हूँ वो तुम नहीं समझोगी,
दिल की हर धड़कन में सिर्फ तेरा नाम आता है,
कैसे सुनता हूं दिल की आवाज़ वो तुम नहीं समझोगी,
मोहब्बत की आग में मैं रोज़ जल रहा हूं,
फिर भी क्यूँ राख नहीं होता यह बदन वो तुम नहीं समझोगी,
जुदाई का सबब मैं समझ कर भी नहीं समझा,
क्यूँ नहीं समझा वो तुम नहीं समझोगी,
दूर हो कर भी हर खयाल में बस उसी का इश्क आता है,
मोहब्बत का यह राज़ मैं तो समझ गया लेकिन तुम नहीं समझोगी,
उसने पूछा इतनी मोहब्बत क्यूँ है आज भी,
मैंने कहा छोड़ो यार वो बात जो तुम नहीं समझोगी।