STORYMIRROR

Mohd Yusuf

Romance

4  

Mohd Yusuf

Romance

तुम नही समझोगी

तुम नही समझोगी

1 min
285

जो बेचैनी सी है मेरे दिल में वो तुम नही समझोगी, 

तुम बिन कैसे जी रहा हूँ वो तुम नही समझोगी, 

दिल की हर धड़कन में सिर्फ तेरा नाम आता है, 

कैसे सुनता हूं दिल की आवाज़ वो तुम नही समझोगी, 

मोहब्बत की आग में मैं रोज़ जल रहा हूं, 

फिर भी क्यूँ राख नही होता यह बदन वो तुम नही समझोगी, 

जुदाई का सबब मैं समझ कर भी नही समझा,

क्यूँ नही समझा वो तुम नहीं समझोगी, 

दूर हो कर भी हर खयाल में बस उसी का इश्क आता है, 

मोहब्बत का यह राज़ मैं तो समझ गया लेकिन तुम नहीं समझोगी,

उसने पूछा इतनी मोहब्बत क्यूँ है आज भी, 

मैंने कहा छोड़ो यार वो बात जो तुम नहीं समझोगी।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance