STORYMIRROR

Sri Sri Mishra

Abstract Inspirational

4  

Sri Sri Mishra

Abstract Inspirational

भीगा गुलाब

भीगा गुलाब

1 min
228

ओस की बूंँदे कहती.....

है मेरा कुछ तुझसे ऐसा वास्ता.....

लिख दूंँ नव पर्ण पर कुछ छंद......

गुलाब पर बन मोती की लड़ी......

लिख दूँ तुझ पर ऐसी दास्तां......

टिक कर तुझ पर अठखेलियों की मौज कर दूँ...

गिर जाऊं मिट्टी पर तो सोंधी खुशबू से ....

तुझे महका कर सुगंधित कर दूँ....

यादों की सिहन लेकर....

खामोश पत्तों पर फिसल जाती हूंँ....

चांँदनी सी नरम मोती बन टपक..

कभी खुद से कुर्बान हो जाती हूंँ..

सर्द मौसम, खुशनुमा सी फ़िजा और भीने ख़्वाब..

लड़ियाँ कतारों में खड़ी मुस्कुराया ओस में भीगा गुलाब..


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract