भेद
भेद
बार बार बचपन में
दादी से कहा गई कविता
अभी भी मुझे याद है
माँ अब बताऊँ
नमक और कपूर
देखने में एक जैसे हैं
स्वाद लेकर ही हम इन
दोनों का भेद समझते हैं
इसी तरह पुरुषों तो
ज्यादा से मिलेंगे लेकिन
पुण्य पुरुषों अलग है।
बार बार बचपन में
दादी से कहा गई कविता
अभी भी मुझे याद है
माँ अब बताऊँ
नमक और कपूर
देखने में एक जैसे हैं
स्वाद लेकर ही हम इन
दोनों का भेद समझते हैं
इसी तरह पुरुषों तो
ज्यादा से मिलेंगे लेकिन
पुण्य पुरुषों अलग है।