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Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

Abstract

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Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

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"कलम हमारी गीता है"

"कलम हमारी गीता है"

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हैं साहित्य सृजन धर्मी हम,

कलम हमारी गीता है।

सदा सत्य पर अडिग है रहती,

भावों की यह सरिता है।


लिखने की ताकत से हमने,

जग को राह दिखाई है।

सत्य, अहिंसा के पथ चलकर,

ताकत दुर्लभ पायी है।


ना बन्दूक नहीं तलवारें,

जग को इससे जीता है।

हैं साहित्य सृजन धर्मी हम

कलम हमारी गीता है।


हर दिन सृजन हमारी पूजा,

ध्यान हमारा है व्यायाम।

है यह विश्व प्रेम की गंगा,

नेक इरादे कृत्य तमाम।


रचतें हैं आयाम अनूठे,

मधुरस जग यह पीता है।

हैं साहित्य सृजन धर्मी हम,

कलम हमारी गीता है।


शुचि' भावों की सृजन कला हो,

कभी द्वेष अभिमान न हो।

हे प्रभु ऐसा वर देना तुम,

सेवा में व्यवधान न हो।


लिखने की ताकत से हमने,

सारे जग को जीता है।

हैं साहित्य सृजन धर्मी हम,

कलम हमारी गीता है।


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