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Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

Abstract Inspirational

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Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

Abstract Inspirational

ये बेटियाँ

ये बेटियाँ

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घर की रौनक होती बेटी, है उमंग अनुराग यही।

बेटी होती जान पिता की, है माँ का अभिमान यही।।


जब हँसती खुश होकर बेटी, आँगन महक उठे सारा।

मन मृदङ्ग सा बज उठता है, रस की बहती है धारा।।

त्योहारों की चमक बेटियाँ, मन मन्दिर की ज्योति है।

 प्रेम दया ममता का गहना, यही बेटियाँ होती है।।

महक गुलाबों सी बेटी है, कोयल की है कूक यही।

बेटी होती जान पिता की, है माँ का अभिमान यही।।


बसते हैं भगवान जहाँ खुद, उनके घर यह आती है।

पालन पोषण सर्वोत्तम वह, जिनके हाथों पाती है।।

पल में सारे दुख हर लेती, बेटी जादू की पुड़िया।

दादा दादी के हिय को सुख, देती हरदम ये गुड़िया।।

माँ शारदा लक्ष्मी दुर्गा का, होती है सम्मान यही।

बेटी होती जान पिता की, है माँ का अभिमान यही।


मात पिता के दिल का टुकड़ा, धड़कन बेटी होती है।

रो पड़ता है दिल अपना जब, दुख से बेटी रोती है।।

जाती है ससुराल एक दिन, दो-दो कुल महकाने को।

मीठी बोली से हिय बसकर, घर आँगन चहकाने को।।

बेटी की खुशियों का दामन, अपनी तो मुस्कान यही।

बेटी होती जान पिता की है माँ का अभिमान यही।



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