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Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

Abstract

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Suchita Agarwal"suchisandeep" SuchiSandeep

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हवाई यात्रा के दौरान

हवाई यात्रा के दौरान

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दूर गगन से देखा, 

मैंने आज,

सभी सितारे नीचे, 

गाये साज,

स्वर्ग धरा पर आया, 

उजली रात,

रिमझिम सोना बरसे,

 ज्यूँ बरसात।


हुआ आसमाँ फीका, 

शून्य अनेक,

टकरा कर के जाता, 

घन प्रत्येक,

चिंतन चित्र बनाये, 

पल का साथ,

टिमटिम तारा आया, 

है कब हाथ।


हरी- हरी सी गलियाँ, 

छोटे खेत,

भवन खिलौने दिखते, 

उजली रेत,

नन्हीं-नन्हीं सड़कें, 

छोटे लोग,

अद्भुत सृष्टि का है, 

यह संजोग।


मन धरती ने मेरा,

मोहा आज,

आसमान के सारे, 

खोले राज,

चकचौन्ध है झूठी,

धरती श्रेष्ठ,

देवों ने भी पाया, 

इसको ज्येष्ठ।



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