सहारा बन चले आओ
सहारा बन चले आओ
किसी हारे हुये का तुम, सहारा बन चले आओ।
बहाकर प्रेम की धारा,ले निश्छल मन चले आओ।
अगर व्यवहार उसका था बुरा तुमसे कभी सुख में,
कभी ना काम आया वो तुम्हारे ही किसी दुख में,
मगर तुम तोड़कर इन द्वेष के धागों को दिखलाओ,
किसी हारे हुए का तुम सहारा बन चले आओ।
कि खुश्बू फूल देता है,कि सूरज रोशनी देता,
भला सागर भी बदले में,कहाँ हमसे है कुछ लेता,
दुखी दिल में खुशी बरसे वो बनके घन चले आओ,
किसी हारे हुए का तुम सहारा बन चले आओ।