भाषाओँ का सम्मान
भाषाओँ का सम्मान
हमारे रगों में
खून दौड़ने
लगता है
हम अपनी
मातृभाषा
को जंजीरों में
जकड़ा पाते हैं !
हरेक वर्ष हम
प्रतीक्षा में रहते हैं !
कब 'हिंदी दिवस'
आयेगाऔर हमें
फिर कब
मौका मिलेगा ?
जगह -जगह
अपनी नाटकीय
आक्रोश दिखायेंगे !
और अन्य भाषाओँ
को यदा -कदा
अछूत बताएँगे !
विदेशों में हिंदी
भाषण से लोगों
को भारमायेंगे
पर अपने बच्चों
को इंग्लिश
ही सिखायेंगे !
भारत की विभिन्य
भाषाएँ हम
सबके प्राण हैं
विश्व की भाषाओं को
भी सीखना
सबका सम्मान है !
