भानुकर
भानुकर
मन मचल उठा उस भानु का
जा बैठा वो अपनी माँ के पास
कह बैठा माँ से अपनी
माँ बताओ ना
क्यों नही रखती तुम मेरा ख्याल।
गर्मी के मौसम में मैं
आग की तरह तपता हूँ
लाती होगी माँ मेरी पंखा
तेरी रहा तकता हूँ
थक हार कर घर ही आ जाता
नहीं देती तुम मुझे फिर भी
ठंडी लस्सी का कोई गिलास।
आसमान मैं बादलों को देख
किलकारी मे भी भरता हूँ
नही इठलाती तुम मेरी किलकारी पर
यही सोच सोच तड़पता हूँ।
ठंड के मौसम में
जब भी में अपने घर में छिप जाता
लोग मचाने लगते हाहाकार
तब क्यों नही कहती तुम लोगों से
की ठंडी लगी है मेरे बच्चे को
मेरा बच्चा है बीमार
मेरा बच्चा है बीमार।