भाग जाना एक कला है।
भाग जाना एक कला है।
भाग जाना एक कला है।
गूँज जब होती है आत्मा के एक कोने में
तो हार जीत समय से परे एक
आवाज़ की तीव्र धार पर चल देना
भाग जाना कहीं ऐसा है
जैसे हर जगह अपनी जगह है।
लड़ते आईने, तैरते पत्थर, नाचती खाली जगह
हँसते सिगरेट पीते मजदूर
धूल भरी आँधी में भटकती जाती एक मोटर गाड़ी
मुसाफ़िर एक तालाब किनारे बत्तखों के साथ खेल रहा है।
माटी के रचे इस खेल में जीत हार नहीं - बस आत्मा की आज्ञा पे किया गया परिश्रम।
उसको रोका नहीं जा सकता
वो भाग जायेगा।
