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Abhishek Misra

Abstract Others

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Abhishek Misra

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सरलता

सरलता

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माटी, दरवाज़ा, रस्सी बनाने वाला,

खिड़की, कमल का फूल। 

सब उड़ रहा है। 

तुम भीड़ को अपने में सँजोती वहाँ चली जाती हो 

जहाँ मृत्यु है - जानी पहचानी सी। 

यात्री क्या लेकर आया है ?

शब्द उसे आते नहीं 

वो एक Gentian का फूल ले आया है। 

कोई ऊंचाई से सब देख रहा 

खाली जगह में जो दुःख है 

वो भी सुख देने वाला है। 

रोम रोम माटी हो गया। 

प्रेमी जोड़े एक दूसरे की हथेलियाँ छू रहे हैं। 

ये सब हे पृथ्वी ! तुम्हारा है 

तुम मेरे संपूर्ण अस्तित्व में गूँज रही हो। 

सरल है उसका चेहरा जो पत्थर से मूर्तियाँ गढ़ता है। 



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