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Abhishek Misra

Others

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Abhishek Misra

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तुम क्यों आयी हो ?

तुम क्यों आयी हो ?

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तुम क्यों आयी हो ?

क्या मैं तुम्हारे लिए वहाँ जाऊँ 

जहाँ सूप में चावल बीन रही हैं औरतें 

और उस मैदान में जहाँ कई किस्म के फूल उग आये हैं अपने आप ? बैंगनी फूल 

क्या तुम्हारे लिए ले आऊँ एक फूल 

और क्या तुमको पैरा पीटते किसान की मुस्कान भी चाहिए ?

और किसी उजाड़ मंदिर की मूर्ति। 

हाँ और फल तुमको बहुत पसंद हैं न। संतरे -हाँ संतरे बहुत भाते हैं तुम्हें। 

तुमने कई चित्र बनाये फलों के अपने कैनवस पर। 

मैं ये सब ले आऊँगा। और वो काला कॉस्टयूम जो उस रात पहना था तुमने - हँस रही थीं तुम। 

अपना नग्न शरीर भी एक बार आईने के सामने खड़ी देखती रहीं तुम 

मैंने तुमको उस आईने में भर लिया। 

तुम्हारा चेहरा, तुम्हारी आँखें, बदन सब। 

फिर वापस क्यों आयी हो ?

यहाँ फिर से समय के फेर में पड़ जाओगी। 

जाओ वहीं रहो। 

याद है मुझे वो साल जब तुमने अपने आँसुओं से लिखी थी अपनी तक़दीर - लाल हो जाते थे तुम्हारे गाल 

वहाँ आदमी एक या सब तुमको देते रहे धोखा। 

पर तुम तलाशती रहीं उस साल अपनी उमर में प्रेम। 

तुमको कुछ नहीं चाहिए था 

सिर्फ़ एक साल ,न नाम न कुछ और। 

प्रेम हासिल करने में नहीं है। 

मुक्त कर देने में है। 

क्या चाहती हो? बोलो ? क्या देख रही हो ?

तुम्हारे लिए औरतें अपनी छाती पीट पीट रोएँ ?

तुम्हारी कराह की सिलवटें अब भी मेरे बिस्तर पर पड़ी हैं। 

सबको अपनाया तुमने वेदना ,प्रेम ,उदारता। 

आईने में बसा तुम्हारा चेहरा 

तुम्हारे सीने की खुशबू से मैं आज तक ज़िंदा हूँ। 

मुझे ज़रूरत है तुम्हारी। 

एक अच्छे साल की मेहनत कभी भी नष्ट हो सकती है। 

मैं कभी भी गिर सकता हूँ। 

तुम मेरे पास रहो - मुझमें लेकिन अपनी दुनिया से देखती। 

तुम्हारे रंग, उड़ने की क्षमता 

आज भी मुझमें रौशन हैं। 

हाँ हाँ मैं ले आऊँगा वो शॉल भी 

जो तुमने उस वनवासी से खरीदा था पहन लेना। 

अब जाओ। 


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