बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय का उद्घोष। बहुजन हिताय और बहुजन सुखाय का उद्घोष।
सब रास्ते सारी गली अब, महकती बन के कली, राहों में भटकती मैं चली, कभी इस गली कभी उस ग सब रास्ते सारी गली अब, महकती बन के कली, राहों में भटकती मैं चली, कभी इस...
तुम में बसकर तुम हो जाऊँ फासलों में पला इश्क पनाह को तरसे तुम में बसकर तुम हो जाऊँ फासलों में पला इश्क पनाह को तरसे
लबों की हँसी जिसकी भाती थी तुमको उसी को रुला के कहो क्या मिला है ।। लबों की हँसी जिसकी भाती थी तुमको उसी को रुला के कहो क्या मिला है ।।
रखे थे ज़हन में हमेशा मुझे तुम मगर अब भूला के कहो क्या मिला है। रखे थे ज़हन में हमेशा मुझे तुम मगर अब भूला के कहो क्या मिला है।
धुआं कर रहे हैं, बस, अपनी जिंदगानियाँ। धुआं कर रहे हैं, बस, अपनी जिंदगानियाँ।